Oct 11, 2017, 03:55 AM IST
जिला मुख्यालय पर आयोजित धरना प्रदर्शन में सीटू महासचिव शैलेंद्रसिंह ठाकुर ने कहा वर्तमान में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता महिला एवं बाल विकास विभाग के साथ शहर व गांव में सरकार के मुख्य नुमाइंदे के रुप में काम कर रही है। प्रत्येक व्यक्ति तक शासन की योजनाएं पहुंचा रही है। सरकार इनके ऊपर लगातार काम का बोझ डालकर शोषण किया जा रहा है। इसके बावजूद न्यूनतम वेतन दिया जा रहा है। वर्षों से सेवाएं देने के बाद भी इनको पेंशन व अन्य किसी भत्तों का भुगतान नहीं किया जा रहा है।
कामरेड किशोर जेवरिया ने कहा सरकार की गलत नीतियों के कारण जनता शोषण और लूट का शिकार बन रही है। पूंजीपतियों को लाभ देने के लिए सरकार आमादा है। लेकिन आंगनवाड़ी कार्यकर्ता व सहायिकाओं को देने के लिए सरकार के पास कुछ नहीं है। सीटू अध्यक्ष वीणा पथरोड़ ने कहा केरल में कार्यकर्ता को 12 हजार एवं सहायिकाओं 7 हजार रुपए, पेंशन के रुप में कार्यकर्ता को 1 हजार और सहायिका का 500 रुपए दिए जाते है। हरियाणा में कार्यकर्ता को 7500 और सहायिका 5 हजार रुपए, तेलंगाना में कार्यकर्ता को 10500 रुपए और सहायिका को 6 हजार रुपए दिए जाते है। पांडिचेरी में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता को कर्मचारी का दर्जा किया गया। 20 जनवरी 2015 को न्यूनतम वेतन सलाहकार परिषद में कार्यकर्ता को अर्द्धकुशल और सहायिका और अकुशल का न्यूनतम वेतन देने का निर्णय लिया था लेकिन सरकार और प्रदेश के मुख्यमंत्री ने उसे लागू नहीं किया।
ये हैं प्रमुख मांगें
नियमितीकरण एवं वेतनवृद्धि।
आंगनवाड़ी कार्यकर्ता को 20 हजार एवं सहायिका को 15 हजार रुपए का वेतन मिले।
सभी कर्मचारियों को शासकीय सेवक घोषित किए जाए।
सेवानिवृत्ति पर कार्यकर्ता को 5 लाख व सहायिका को 3 लाख रुपए का भुगतान करें।
4167 बच्चे रहे वंचित
आंगनवाड़ी कार्यकर्ता व सहायिकाओं की हड़ताल के कारण बच्चों को मिलने वाला पोषण आहार नहीं पहुंच रहा। इसके कारण शहर की 97 आंगनवाड़ी केंद्रों के करीब 4167 बच्चे शासन की योजना में मिलने वाले पोषण आहार से वंचित रहे।
Reference: https://www.bhaskar.com/mp/neemuch/news/MP-OTH-MAT-latest-neemuch-news-035504-244573-NOR.html