सीएम हेल्पलाइन से न्याय मांगना वनरक्षक को भारी पड़ गया। अफसरों ने पहले उसका तबादला किया। वह ज्वाइन भी नहीं कर पाया कि प्रभारी डीएफओ ने निलंबित कर दिया।
ग्वालियर। सीएम हेल्पलाइन से न्याय मांगना वनरक्षक को भारी पड़ गया। अफसरों ने पहले उसका तबादला किया। वह ज्वाइन भी नहीं कर पाया कि प्रभारी डीएफओ ने निलंबित कर दिया। वन मंडल ऑफिस इसी मामले में डिप्टी रेंजर और रेंजर के खिलाफ कार्रवाई की फाइल तैयार हुई। लेकिन सीसीएफ ऑफिस के इशारे पर फाइल को दबा दिया है। अफसरों की प्रताडऩा से पीडि़त वन रक्षक रायकवार ने एक बार फिर सीएम से न्याय की गुहार की। न्याय नहीं मिलने पर सीसीएफ ऑफिस के सामने आत्महत्या करने का फैक्स भी भेज दिया है।
पहले भुगतान को पत्र
मजदूरों ने करीब 3-4 महीने पहले सीएफ अतुल खेरा के सामने आकर प्रदर्शन किया था। सीसीएफ राजेश कुमार और सीएफ खेरा को भी इस संबंध में खत लिखकर भुगतान के लिए अधीनस्थों को पत्र लिखा था।
पत्र ने उठाए सवाल
अफसरों के पत्र से सवाल उठ रहे हैं कि जब काम गलत था, तब दोनों अफसरों ने वेतन भुगतान के लिए रेंजर को खत क्यों लिखा। तब कार्रवाई से क्यों बचाया गया।
ये है मामला
निलंबित रेंजर रायकवार ने बताया कि बीट ओहदपुर में सड़क संबंधी काम होना था। अनुभव नहीं होने पर अफसरों से इनकार किया था। तब अफसरों ने दबाव डालकर काम कराया। काम ठीक चल रहा है या नहीं डिप्टी रेंजर से रेंजर तक कोई देखने नहीं आया। मैंने जब मजदूरों के 45 हजार रुपए के भुगतान की बात कहीं तो मौखिक आदेश देकर भुगतान के बाउचर बार-बार अपने हिसाब से अफसरों ने ठीक कराए। यदि मैं इस काम में दोषी हूं तो डिप्टी रेंजर और रेंजर भी दोषी है। मुझे बिना नोटिस दिए निलंबित कर दिया। वहां कोई कार्रवाई नहीं की गई।
ओहदपुर बीट में सड़क संबंधी कार्य हुआ था। वहां खामी मिली है। उस आधार पर वनरक्षक को निलंबित किया है। इस मामले में डिप्टी रेंजर और रेंजर भी दोषी हैं। रेंजर के ऊपर कार्रवाई का अधिकार सीसीएफ राजेश कुमार को हैं। हम खत लिखकर अनुशंसा करेंगे।
एम कालीदुरई, प्रभारी डीएफओ